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दीपका क्षेत्र में रोड ओवर ब्रिज परियोजना स्थानीय विकास या पर्यावरण प्रदुषण का खतरा?

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SECL के दीपका क्षेत्र में प्रस्तावित रोड ओवर ब्रिज (ROB) परियोजना, जिसकी लागत लगभग ₹672,107,021 है और जिसका ठेका Shri Balaji Engicon Limited को दिया गया है, अब स्थानीय प्रशासन, पर्यावरणीय प्रभाव, और संरचनात्मक सुरक्षा के मुद्दों को लेकर चर्चा में है। दरासल Rail India Technical and Economic Service (RITES) द्वारा इस परियोजना की निगरानी की जा रही है। हालांकि, कई जरूरी क्लीयरेंस और अनुमतियों को लेकर लोगो की चिंताएं बनी हुई हैं, जो परियोजना के पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों को उजागर करती हैं।

राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं क्राइम कंट्रोल ब्यूरो कोरबा के जिला उपाध्यक्ष लोकेश महंत ने इस परियोजना से जुड़ी हुयी प्रमुख क्लीयरेंस और अनुमति प्रक्रियाओं पर सवाल खड़ा किया है :

(1) क्या नगर पालिका दीपका से NOC प्राप्त किया गया है?

नगर पालिका से No Objection Certificate (NOC) प्राप्त करना अनिवार्य है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि परियोजना स्थानीय निवासियों, यातायात, और बुनियादी ढांचे पर नकारात्मक प्रभाव नहीं डालेगी। NOC के बिना, परियोजना को कानूनी बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है, और स्थानीय समुदाय में भी असंतोष बढ़ सकता है। ज्ञात हो की एक वर्ष पूर्व सामान्य सभा बैठक में एल्डरमैन व पार्षदों ने सर्वसम्मती सें गौरव पथ पर भारी वाहन परिचलन बंद कर व व्यकल्पिक मार्ग बनाने का प्रस्ताव पारित किया था।

(2) क्या नगर पालिका ने अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने से पहले सामान्य सभा की बैठक में सहमति ली है?

यह सवाल स्थानीय प्रशासन की पारदर्शिता और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पालन सुनिश्चित करने की ओर इशारा करता है। यदि सामान्य सभा की बैठक में सहमति नहीं ली गई, तो यह नगर पालिका के निर्णयों पर प्रश्नचिन्ह लगा सकता है। यह स्थानीय निवासियों की राय और सहमति की अनदेखी का संकेत है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि NOC (अनापत्ति प्रमाण पत्र) का आधार सही है या नहीं।

(3) क्या परियोजना के लिए पब्लिक हियरिंग कर विस्तृत EIA और EMP रिपोर्ट तैयार की गई हैं?

EIA (Environmental Impact Assessment): EIA रिपोर्ट यह आकलन करती है कि परियोजना पर्यावरण पर कैसे प्रभाव डालेगी। इसमें वायु, जल, और ध्वनि प्रदूषण का अध्ययन शामिल है।

EMP (Environmental Management Plan): EMP पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने के लिए रणनीतियां प्रस्तुत करता है, जैसे धूल नियंत्रण, जल प्रदूषण प्रबंधन, और हरित क्षेत्र विकसित करना।

पब्लिक हियरिंग: यह प्रक्रिया स्थानीय निवासियों को परियोजना पर अपनी राय देने का अवसर देती है। जनता की चिंताओं को अनदेखा करने से सामाजिक असंतोष बढ़ सकता है।

(4) क्या प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने निर्माण और संचालन की अनुमति दी है?

परियोजना को शुरू करने से पहले Consent to Establish (CTE) और संचालन से पहले Consent to Operate (CTO) आवश्यक हैं।

ये प्रमाण पत्र पर्यावरणीय मानकों का पालन सुनिश्चित करते हैं, जैसे निर्माण कार्य के दौरान वायु और जल प्रदूषण को नियंत्रित करना। यदि ये अनुमतियां प्राप्त नहीं की गईं या प्रदूषण नियंत्रण के मानकों की अनदेखी की गई, तो यह पर्यावरणीय क्षति और कानूनी विवादों का कारण बन सकता है।

1. वायु प्रदूषण का खतरा: भारी ट्रकों के आवागमन से कोल डस्ट और वाहनों के उत्सर्जन में वृद्धि होगी। अगर कोयले को सही ढंग से ढका नहीं गया, तो यह हवा में फैलकर स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।

2. ध्वनि प्रदूषण: लगातार भारी वाहनों की आवाजाही से ध्वनि प्रदूषण बढ़ेगा, जो आसपास रहने वाले लोगों के लिए परेशानी का कारण बन सकता है।

3. सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: वायु प्रदूषण से सांस की बीमारियां, खासकर बच्चों और बुजुर्गों में, बढ़ सकती हैं। कोल डस्ट और वाहनों के प्रदूषण से स्थानीय वनस्पतियों और जीव-जंतुओं पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

4. ट्रैफिक और सड़क सुरक्षा: भारी ट्रकों के कारण ट्रैफिक जाम की संभावना बढ़ेगी, जिससे स्थानीय यातायात व्यवस्था बाधित हो सकती है। खराब सुरक्षा उपाय दुर्घटनाओं का कारण बन सकते हैं।

(5) क्या डिज़ाइन और संरचनात्मक सुरक्षा के सभी परीक्षण मानकों के अनुरूप हैं?

यह सुनिश्चित करने के लिए कि पुल भारी वाहनों के भार को सह सके और दुर्घटनाओं से बचा जा सके, निम्नलिखित प्रक्रियाएं आवश्यक हैं :

1. साइट सर्वे और भूगर्भीय अध्ययन: यह सुनिश्चित करता है कि निर्माण स्थल का भूगर्भीय ढांचा पुल निर्माण के लिए सुरक्षित है। अगर जमीन अस्थिर है, तो यह परियोजना की संरचनात्मक स्थिरता को खतरे में डाल सकता है।

2. डिज़ाइन मूल्यांकन: डिज़ाइन की मजबूती का मूल्यांकन आवश्यक है ताकि यह भारी कोयला ट्रकों और यातायात भार को सह सके। कमजोर डिज़ाइन पुल के ढहने का जोखिम पैदा कर सकता है।

3. संरचनात्मक स्थिरता परीक्षण: निर्माण के बाद यह परीक्षण सुनिश्चित करता है कि पुल जलवायु प्रभाव और यातायात भार के तहत लंबे समय तक स्थिर रहेगा।

4. निर्माण सामग्री की गुणवत्ता: सीमेंट, स्टील, और अन्य सामग्री की गुणवत्ता मानकों के अनुरूप होनी चाहिए। घटिया सामग्री के इस्तेमाल से पुल की उम्र कम हो सकती है और दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ सकती है।

(6) क्या निविदा जारी करने से पूर्व प्राक्कलन नक्शा तैयार किया गया और कार्यादेश में किसी प्रकार के नक्शे में बदलाव है?

इस प्रश्न से यह संकेत मिलता है कि प्रोजेक्ट की योजना और क्रियान्वयन के बीच असंगति हो सकती है। यह दर्शाता है कि कार्यादेश (Work Order) में यदि नक्शे में बदलाव किया गया है, तो यह या तो ठेकेदार के पक्ष में किया गया है या तकनीकी कमियों को छिपाने के लिए। इससे यह भी प्रश्न उठता है कि परियोजना की लागत और गुणवत्ता पर इस बदलाव का क्या असर पड़ेगा। पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए यह सवाल अतिआवश्यक है।

(7) क्या भूमि अधिग्रहण के लिए अधिसूचना या कोई परिपत्र जारी किया गया है?

यह सवाल संकेत करता है कि भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया की पारदर्शिता पर प्रश्न उठाता जा है और यह सुनिश्चित करने का प्रयास है कि क्या भूमि अधिग्रहण विधिसम्मत तरीके से किया गया है। बिना अधिसूचना के भूमि अधिग्रहण गैरकानूनी माना जा सकता है और स्थानीय निवासियों की सहमति का अभाव भी उजागर हो सकता है। यदि ऐसा नहीं हुआ है तो परियोजना में वैधानिक प्रक्रियाओं के पालन की कमी की ओर इशारा करता है।

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