24 जुलाई 2025 —
अमेरिका स्थित रिसर्च फर्म वाइसरॉय रिसर्च द्वारा जारी एक विस्फोटक पत्र ने भारत के वित्त और खनन मंत्रालयों में हलचल मचा दी है। इस पत्र में वेदांता समूह पर आरोप लगाया गया है कि वह हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (HZL) की संपत्तियों का सुनियोजित दोहन कर रहा है — जबकि इसमें भारत सरकार की अब भी 29.54% हिस्सेदारी है।
22 जुलाई को जारी इस पत्र को केंद्रीय वित्त मंत्री, खनन मंत्री, DIPAM और प्रमुख विपक्षी नेताओं को संबोधित किया गया है। पत्र में गंभीर गवर्नेंस खामियों, रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शन्स और दीर्घकालिक शेयरधारकों के हितों की अनदेखी के गंभीर आरोप लगाए गए है

मुख्य आरोप:
₹1,500 करोड़ की राशि रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शन्स और ब्रांड फीस के माध्यम से siphon की गई, जिनका HZL को कोई सीधा लाभ नहीं दिखता।
FY18 से अब तक ₹80,000 करोड़ से अधिक डिविडेंड के रूप में वितरित किए गए — कई बार सालाना मुनाफे से भी ज़्यादा, जिससे आंतरिक भंडार (reserves) की समाप्ति का संकेत मिलता है।

Serentica (वेदांता समूह से जुड़ी कंपनी) के साथ की गई ऊर्जा आपूर्ति डील से HZL को हर साल ₹300 करोड़ का घाटा होगा — वह भी 30 वर्षों तक।

Minova Runaya, Serentica और अन्य वेदांता-संबद्ध कंपनियों के साथ संदिग्ध अनुबंधों के ज़रिए भारत की संपत्ति को offshore कंपनियों में ट्रांसफर किया जा रहा है।
“यह केवल अकाउंटिंग की बात नहीं है, यह भारत की दौलत को बाहर भेजने की साज़िश है।” — वाइसरॉय रिसर्च
गवर्नेंस की विफलता:
वाइसरॉय ने HZL बोर्ड की संरचना पर सवाल उठाए हैं, जो लगभग पूरी तरह वेदांता से जुड़े सदस्यों द्वारा नियंत्रित है। उसने भारत सरकार से 2002 के शेयरहोल्डर एग्रीमेंट के तहत 5 स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति की मांग की है — जिसे सरकार ने अब तक नजरअंदाज़ किया है।
ब्रांड फीस समझौते को सरकारी निदेशकों की अनुमति के बिना बैकडेट किया गया, जो SEBI के रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शन नियमों और मूल कॉरपोरेट गवर्नेंस मानदंडों का उल्लंघन हो सकता है।
वाइसरॉय की आपातकालीन सिफारिशें:
1. HZL बोर्ड में भारत सरकार द्वारा 5 स्वतंत्र निदेशकों की तत्काल नियुक्ति।
2. Minova Runaya और Serentica सहित सभी रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शन्स का फॉरेंसिक ऑडिट।
3. जब तक वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित न हो, डिविडेंड भुगतान पर अस्थायी रोक।
4. सभी रणनीतिक सेवा और ऊर्जा समझौतों की समीक्षा।
5. HZL के वित्तीय व्यवहार की CAG से ऑडिट कराना।
6. वित्त और खनन की स्थायी संसदीय समितियों के माध्यम से संसदीय जांच।
यह निजी नहीं, राष्ट्रीय मामला है”
वाइसरॉय ने अपने पत्र में जोर देकर कहा:
HZL हिन्दुस्तान जिनक लिमिटेड कोई साधारण कंपनी नहीं है। यह भारत के औद्योगिक आधार और खनिज आत्मनिर्भरता की रीढ़ है — जिसे विदेशी शोषण और अपारदर्शी वित्तीय इंजीनियरिंग से बचाना अत्यावश्यक है।”
क्या दांव पर है?
HZL, जो दुनिया के सबसे बड़े जिंक उत्पादकों में से एक है, भारत की रणनीतिक संसाधन सुरक्षा, विदेशी मुद्रा आय और औद्योगिक भविष्य के लिए अत्यंत आवश्यक है।
यदि इसे इसी तरह खोखला किया गया, तो इसका प्रभाव न केवल इस कंपनी पर, बल्कि पूरे राष्ट्र के आर्थिक आधार पर पड़ सकता है।
सरकारी चुप्पी जारी
लेखन के समय तक, ना ही वेदांता समूह, और ना ही वित्त मंत्रालय, खनन मंत्रालय या DIPAM ने वाइसरॉय के पत्र में उठाए गए आरोपों पर कोई सार्वजनिक बयान जारी किया है।
