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वेदांता की गुप्त पाइपलाइन? वायसराय रिपोर्ट का दावा, हिंदुस्तान ज़िंक से मुनाफ़ा कमाने के लिए मिनोवा रुनाया का इस्तेमाल

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दिनांक: 23 जुलाई 2025विषय: Hindustan Zinc Ltd से लाभ की कथित siphoning को लेकर Vedanta Group के खिलाफ गंभीर आरोप – Viceroy रिपोर्ट में खुलासा

एक नई रिपोर्ट में Viceroy Research ने Vedanta समूह के प्रमोटरों पर यह आरोप लगाया है कि उन्होंने सरकार-समर्थित Hindustan Zinc Ltd (HZL) से लाभ को Minova Runaya Pvt Ltd नामक संयुक्त उद्यम (JV) के माध्यम से निजी नियंत्रण वाली संस्थाओं में स्थानांतरित किया है।

रिपोर्ट के अनुसार, Minova Runaya — जो Minova Minetek Pty Ltd और Runaya Metsource LLP (जो कि प्रमोटर नियंत्रित है) के बीच 51:49 का JV है — पिछले चार वर्षों से HZL से लाभ निकालने का एक ‘पासथ्रू’ वाहन मात्र बनकर रह गया है। इस JV ने कथित रूप से बिना पर्याप्त विनिर्माण क्षमता के, HZL को उच्च दरों पर सामान बेचने, बेनामी संपत्ति हस्तांतरण करने और अनन्य अनुबंधों के ज़रिये मुनाफा निकाला है।

प्रमुख आरोप और चिंताएं:

1. Anil Agarwal को लाभ: MCA दस्तावेजों के अनुसार, मार्च 2025 तक Runaya Metsource — जो Minova Runaya में 49% की हिस्सेदार है — 99% Twinstar Overseas के स्वामित्व में है, और इसका अंतिम लाभार्थी अनिल अग्रवाल हैं। इससे स्पष्ट होता है कि यह पूरा तंत्र लाभ को Vedanta के प्रमोटर समूह तक पहुँचाने के लिए तैयार किया गया था।

2. कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 188 का उल्लंघन? यह स्पष्ट नहीं है कि क्या इन संबंधित-पक्ष लेनदेन (related party transactions) की पूर्व स्वीकृति कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 188 के तहत Audit Committee से प्राप्त की गई थी या नहीं। यह भी जांच का विषय है कि क्या भारत सरकार द्वारा नियुक्त निदेशकों ने Vedanta और सरकार के बीच हुए Shareholder Agreement के क्लॉज 4.5 के तहत इन लेनदेन की स्वीकृति दी थी?

3. वित्तीय विसंगतियाँ और अपारदर्शिता:

*FY23-24 में Minova Runaya ने HZL से 253 करोड़ रुपये की आय दिखाई, जबकि कुल राजस्व मात्र 222 करोड़ बताया गया — जो एक स्पष्ट विसंगति है।

*Minova द्वारा HZL को ₹543 करोड़ की संपत्ति बिक्री का दावा भी उनके बैलेंस शीट में परिलक्षित नहीं होता, और न ही HZL की रिपोर्टिंग में।

*FY20-21 से FY23-24 तक Minova Runaya ने कुछ भी निर्माण नहीं किया, फिर भी लगातार HZL को सप्लाई करती रही।

4. Circular profit siphoning का मामला: Minova Runaya ने ESL Steel (Vedanta समूह की ही एक और इकाई) से ₹36 करोड़ की सामग्री खरीदी और उसे 30% मार्कअप के साथ HZL को बेचा। इससे यह प्रतीत होता है कि केवल Vedanta समूह के भीतर लाभ चक्रवात बनाकर वितरित किया जा रहा है।

5. कम उत्पादन लागत, अधिक मूल्य निर्धारण: रिपोर्ट के अनुसार, FY23-24 में Minova Runaya के कुल आयात केवल ₹5.49 करोड़ थे, जिनमें से कच्चे माल का हिस्सा केवल ₹0.23 करोड़ था। ऐसे में 30% मार्जिन वाला मूल्य निर्धारण अव्यवहारिक और शोषणकारी प्रतीत होता है।

6. निर्माण इकाई का स्तर संदिग्ध: सोशल मीडिया और Google Maps पर उपलब्ध तस्वीरों से स्पष्ट होता है कि Minova Runaya का परिसर एक गोदाम जैसा दिखता है — ना कि एक औद्योगिक विनिर्माण इकाई।

7. कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर गंभीर प्रश्न: रिपोर्ट में यह भी पूछा गया है कि क्या HZL की Audit Committee, स्वतंत्र निदेशक, क्रेडिट रेटिंग एजेंसियाँ और प्रॉक्सी सलाहकार इस लेन-देन को अनदेखा कर रहे थे या जानबूझकर नज़रअंदाज़ किया गया?

मांगें और आवश्यक कार्रवाई:

भारत सरकार की खनन मंत्रालय, SEBI, और MCA को चाहिए कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष और विस्तृत जांच करें।

Audit Committee और सरकारी निदेशकों से यह स्पष्ट किया जाए कि क्या उन्हें इस JV के साथ हुए सभी अनुबंधों की जानकारी थी और उन्होंने उसकी अनुमति दी थी।

यदि उल्लंघन सिद्ध होता है, तो संबंधित प्रावधानों के तहत कड़ी दंडात्मक कार्यवाही की जाए।

Vedanta Ltd ने अभी तक इस रिपोर्ट पर कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। परंतु रिपोर्ट में प्रस्तुत सबूतों के आलोक में यह मामला अब नियामक एजेंसियों, संस्थागत निवेशकों और सार्वजनिक हितधारकों की निगरानी में आ चुका है।

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